पच्ची

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पच्ची संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पचित]

१. ऐसा जड़ाव या जमावट जिसमें जड़ी या जमाई जानेवाली वस्तु उस वस्तु के बिलकुल समत ल हो जाय जिसमें वह जड़ी या जमाई जाय । किसी वस्तु के फैले हुए तल पर दूसरी वस्तु के टुकड़े इस प्रकार खोदकर बैठाना । कि वे इस वस्तु के तल (सतह) के मेल में हो जायँ और देखने या छूने में उभरे या गड़े हुए न मालूम हों तथा दरज या सीम न देखाई पड़ने के कारण आधार वस्तु के ही अंग जान पड़ें । जैसे, संगमर्मर पर रंगबिरंग के पत्थर के टुकड़ों को जड़ना ।

२. किसी धातुनिर्मित पदार्थ पर किसी अन्य धातु के पत्तर का जड़ाव । जैसे, किसी फर्शी या जस्ते की किसी चीज पर चाँदी के पत्तरों का जड़ाव । मुहा॰—(किसी में) पच्ची हो जाना = बिलकुल मिल जाना या वही हो जाना । लीन हो जाना । हल हो जाना । जैसे,— वह कबूतर जब जब उड़ता है तब तब आसमान में पच्ची हो जाता है ।