पछाड़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पछाड़ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पाछा] बहुत अधिक शोक आदि के कारण खड़े खड़े वेसुध होकर गिर पड़ना । अचेत होकर गिरना । मूर्छित होकर गिरना । मुहा॰—पछाड़ खाना = खड़े खड़े अचानक बेसुध होकर गिर पड़ना । उ॰—परित पछाड़ खाइ छिन ही छिन अति आतुर ह्वै दीन । मानहु सूर काढ़ि है लीनी वारि मध्य ते मीन ।—सूर (शब्द॰) ।
पछाड़ ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पछाड़ना] कुश्ती का एक पेंच । विशेष—जब शत्रु सामने रहता है तब एक हाथ उसकी जाँघों के नीचे से निकालकर पीछे की ओर से उसका लँगोट पकड़ते हैं और दूसरा हाथ उसकी पीठ पर से घुमाकर उसकी बगल में अड़ाते हैं और इस प्रकार उसे उठाकर चित फेंक देते हैं । इसमें अधिक बल की आवश्यकता होती है ।