पट्ठा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पट्ठा संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुष्ट, प्रा॰ पुट्ठ] [स्त्री॰ पठिया]

१. जवान । तरुण । पाठा । यौ॰—जवान पट्ठा ।

२. मनुष्य, पशु आदि चर जीवों का वह बच्चा जिसमें यौवन का आगमन हो चुका हो पर पूर्णता न आई हो । नवयुवक । उदंत । जैसे,—अमी तो वह बिलकुल पट्ठा है । विशेष—चौपायों में घोड़े. पक्षियों में कबूतर, उल्लू और मुर्ग तथा सरीसृपों में साँप के यौवनोन्मुख बच्चे को पट्ठा कहते हैं ।

३. कुशतीबाज । लड़का । जैसे,—उस पहलवान ने बहुत से पट्ठे तैयार किए हैं ।

४. ऐसा पत्ता जो लंबा, दलदार या मोटा हो । जैसे, घीकुवार या तंबाकू का पट्ठा ।

५. वे तंतु जो मांसपेशियों को परस्पर और हड़ियों के साथ बाँधे रहते हैं । मोटी नस । स्नायु । मुहा॰—पट्ठा चढ़ना = किसी नस का तन जाना । नस पर नस चढ़ना । पट्ठों में घुसना = गहरी दोस्ती पैदा करना । अंत रंग बनना ।

६. एक प्रकार का चोड़ा गोटा जो सुनहला और रुपहला दोनों प्रकार का होता है । उ॰—झूठे पट्ठे की है मूबाफ पड़ी चोटी में । देखते ही जिसे आँखों में तरी आती है ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ७९० ।

७. अतलस, सासनलेट आदि की पट्ठी पर बेल बुनकर बनाई हुई गोट ।

८. पेड़ू के नीचे कमर और जाँघ के जोड़ का वह स्थान जहाँ छूने से गिल्टियाँ मालूम होती हैं ।