पड़ती
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पड़ती संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पड़ना] बिना जुती हुई भूमि । पड़ी हुई जमीन । भूमि जिसपर कुछ काल से खेती न की गई हो । विशेष—माल के कागजात में पड़ती के दो भेद किए जाते हैं— पड़ती जदीद और पड़ती कदीम । जो भूमि केवल एक साल से न जोती बोई गई हो उसको पड़ती जदीद और जो एक से अधिक सालों से न जोती बोई गई हो उसको पड़ती कदीम मानते हैं । क्रि॰ प्र॰—छोड़ना ।—पड़ना ।—रखना । मुहा॰—पड़ती उठना = (१) पड़ती का जोता जाना । पड़ती पर खेती होना । जैसे,—यह पड़ती बहुत दीनों पर उठी है । (२) पड़ती के जोते जाने का प्रबंध होना । पड़ती खेत का बंदोबस्त हो जाना । जैसे,—इस साल हमारी बहुत सी पड़ती उठ गई । पड़ती उठाना = (१) पड़ती को जोतना । पड़ती पर खेती आरंभ करना । जमींदार का इस आशा पर किसी पड़ती को खेती के योग्य बनाना और उसपर खेती आरंभ करना कि दो एक साल के बाद कोई असामी उसे ले लेगा । जैसे,—इस साल मैंने अपनी बहुत सी पड़ती उठाई है । (२) पड़ती का बंदोबस्त कर देना । पड़ती को लगान पर काश्तकार को देना । पड़ती छोड़ना = किसी खेत को कुछ समय तक यों ही छोड़ना, उसे जोतना बोना नहीं जिसमें उसक ी उर्वरा शक्ति बढ़ जाय । जैसे,—इस साल इस गाँव में बहुत सी जमीन पड़ती छोड़ी गई है ।