पण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कोई खेल जिसमें हारनेवाले को कुछ परिमित धन अथवा की निर्दिष्ट वस्तु जीतनेवाले को देनी पड़े । कोई कार्य जिसमें बाजी बदी गई हो । जूआ । द्यूत ।
२. प्रतिज्ञा । शर्त । मुआहिदा । कौल करार । संधि । उ॰—मेरा स्त्रीत्व क्या इतने का भी आधिकारी नहीं कि अपने को स्वामी समझनेवाला पुरुष उसके लिये प्राणों का पण लगा सके ।—ध्रुव॰, पृ॰ २५ ।
३. वह वस्तु जिसके देने का करार या शर्त हो । जैसे, किराया, भाड़ा, परिश्रमिक आदि ।
४. मोल । कीमत । मूल्य । ५ । फीस । शुल्क ।
६. धन । संपत्ति । जायदाद ।
७. क्रय विक्रय की वस्तु । सौदा ।
८. व्यवहार । व्यापार । व्यवसाय ।
९. स्तुति । प्रशंसा ।
१०. किसी के मत से ११ और किसी के मत से २० माशे के बराबर ताँबे का टुकड़ा जिसका व्यवहार सिक्के की भाँति किया जाता था ।
११. मद्यविक्रेता । कलाल (को॰) ।
१२. गृह । घर । वेश्म (को॰) ।
१३. प्राचीन काल की एक विशेष नाप जो एक मुट्ठी अनाज के बराबर होती थी ।