पदम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पदम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पद्म] दे॰ 'पद्म' ।

पदम ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पद्मकाष्ठ] बादाम की जाति का एक जंगली पेड़ । अमलगुच्छ । पद्माख । विशेष—यह पेड़ सिंधु से आसाम तक २५०० से ७००० फुट की ऊँचाई तक तथा खासिया की पहाड़ियों और उत्तर बर्मा में अधिकता से पाया जाता है । कहीं कहीं यह पेड़ लगाया भी जाता है । इसमें से बहुत अधिक गोंद निकलता है जो किसी काम में नहीं लाया याता । इसमें एक प्रकार का फल होता है जिसमें कड़ ए बादाम के तेल की तरह का तेल निकलता है । इन फलों को लोग कहीं कहीं खाते और कहीं कहीं फकीर लोग उनकी मालाएँ बनाकर गले में पहनते हैं । यह फल शराब बनाने के लिये विलायत भी भेजा जाता है । इस वृक्ष की लकड़ी छड़ियाँ और आरायशी सामान बनाने के काम में आती है । कहते हैं, गर्भ न रहता हो तो इसक ी लकड़ी घिसकर पीने से गर्भ रह जाता है, यदि गर्भ गिर जाता है तो स्थिर हो जाता हे । वैद्यक के अनुसार इसकी लकड़ी ठंढी, कड़वी, कसैली, हलकी, वादी, रक्तपित्तनाशक, दाह, ज्वर, कोढ़ और विस्फोटक आदी को दूर करनेवाली और रुचिकारक मानी गई है । पर्या॰—पद्मक । मलय । पीतरक्त । सुप्रभ । पीतक । शीतल । हिम । शुभ । केदारज । पद्मगंधि । शीतवीर्य । अमलगुंच्छ । पद्माख ।