पनपना क्रि॰ अ॰ [सं॰ पर्ण + पर्ण (= पता) वा पर्णय (= हरा होना)] १. पानी पाने के कारण फिर से हरा हो जाना । पुनः अंकुरित या पल्लवित होना । २. फिर से तंदुरुस्त होना । रोगयुक्त होने के उपरांत स्वस्थ तथा हृष्ट पुष्ट होना ।