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पपोरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पपोरना † क्रि॰ स॰ [देश॰] अपनी बाहें ऐंठना और उनका भराव या पुष्टता देखना । (इस क्रिया से बलाभिमान सूचित होता है) । उ॰—कंस लाज भय गर्वजुत चल्यो पपोरत बाँह ।— व्यास (शब्द॰) ।