परमल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

परमल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ परिमल ( = कूटा हुआ, मला हुआ ?)] ज्वार या गेहूँ का एक प्रकार का भुना हुआ दाना या चबेना । विशेष—इसे बनाने के लिये पहले ज्वार को भिगोकर कूटते हैं । और फिर भाड़ में भून लेते हैं ।

परमल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ परिमल] दे॰ 'परिमल' । उ॰—अरँड बंस लागैं नहीं गुरु चंदन की बास । रीते रहे गठीले पोले रज्जब परमल पास ।—रज्जब॰, पृ॰ १२ ।