परमारथी पु वि॰ [सं॰ परमार्थी] दे॰ 'परमार्थी' । उ॰—(क) एहि जग जामिनि जागहि जोगी । परमारथी प्रपंच वियोगी ।—मानस, २ ।९६ । (ख) नमों प्रेम परमारथी जाचत हैं तोहि । नंदलाल के चरन कौं दे मिलाइ किन मोहि ।—स॰ सप्तक, पृ॰ १७३ ।