परवाह
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
परवाह संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰ परवा]
१. चिंता । व्यग्रता खटका । आशंका । उ॰—चित्र के से लिखे दोऊ ठाढे़ रहे कासीराम, नाहीं परावाह लोग लाख करो लरिबो ।—काशीराम (शब्द॰) ।
२. ध्यान । ख्याल । किसी बात की ओर चित्त देना ।
३. आसरा । भरोसा । उ॰—जग में गति जाहि जगत्पति की परवाह सो ताहि कहा नर की ।—तुलसी (शब्द॰) ।
परवाह ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रवाह] बहने का भाव । मुहा॰—परवाह करना = बहाना । धारा में छोड़ना । जैसे,— इस मुर्दे को परवाह कर दो ।