पराया
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पराया वि॰ पुं॰ [सं॰ परकीय>परईय>पराया, या सं॰ पर + हिं॰ आया (प्रत्य॰)] [वि॰ स्त्री॰ पराई]
१. दूसरे का । अन्य का । जैसे, पराया माल, पराया धन, पराई स्त्री । उ॰— (क) औ जानहि तन होइहि नासू । पोखै मास पराये मासू ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) मुनिहिं मोह मन हाथ पराये । हँसहिं संभु गन अति सचुपाये ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. जो आत्मीय न हो । जो स्वजनों में न हो । गैर । बिराना । उ॰— बिगरत अपनो काज है हँसत पराये लोग ।—(शब्द॰) । मुहा॰—अपना पराया समझना = (१) यह ज्ञान होना कि कौन बिराना है । शत्रु, मित्र भला बुरा पहचानना । (२) भेदभाव रखना । पराया मुँह ताकना = औरों का भरोसा करना । दूसरों का मुँह जोहना । उ॰—जो रहे ताकते पराया मुँह, तो दुखों से न किसलिये जकड़े ।—चुभते॰, पृ॰ १० ।