परिपूरन वि॰ [सं॰ परिपूर्ण ] दे॰ 'परिपूर्ण' । उ॰—प्रेम भरे जग प्रगटिहैं, हरि परिपूरन रूप ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ २२७ ।