परिमल
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
परिमल संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ परिमलित ]
१. सुवास । उत्तम गंध । खुशबू । उ॰—परिमल अग्र गुलाब की झरि हंस सो सुख पावहीं ।—दरिया॰ बानी, पृ॰ ७ ।
२. वह सुगँध जो कुमकुम आदि सुगंधित पदार्थों के मले जाने से उत्पन्न हो ।
३. मलने का कार्य । मलना । उबटना ।
४. कुमकुम आदि का मलना या उबटना ।
५. मैथुन । सहवास । संभोग ।
६. दाग । धब्बा । चिह्न ।
७. पंडितों का समुदाय ।