परिवर्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

परिवर्त संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. फिराव । फेरा । घुमाव । चक्कर । विवर्तन ।

२. आवृत्ति ।

३. अदल बदल । बदला । विनिमय ।

४. जो बदले में लिया या दिया जाय । बदल ।

५. किसी काल या युग का अंत । किसी काल या युग का बीत जाना ।

६. (ग्रंथ का) परिच्छेद । अध्याय । बयान ।

७. पुराणानुसार मृत्यु के पुत्र दुस्सह के पुत्रों में से एक । विशेष—मार्कंडेय पुराण में लिखा है कि मृत्यु के दुस्सह नाम का एक पुत्र था जिसका विवाह कलि की कन्या निर्माष्टि के साथ हुआ था । निर्माष्टि के गर्भ से अनेक पुत्र जन्मे, परिवर्त इनमें तीसरा था । यह एक स्त्री के गर्भ को दूसरी स्त्री के गर्भ से बदल दिया करता था, किसी वाक्य का भी वक्ता के अभिप्राय से विरूद्ध या भिन्न अर्थ कर दिया करता था । इसी से इसे परिवर्त कहने लगे । इसके उपद्रव से गर्भ की रक्षा करने के लिये सफेद सरसों और रक्षोघ्न मंत्र से इसकी शांति की जाती है । इसके पुत्र विरूप और विकृति भी उपद्रव करके गर्भपात कराते हैं । इनके रहने के स्थान डालियों के सिरे, चहारदीवारी, खाई और समुद्र हैं । जब गर्भिणी स्त्री इनमें से किसी के पास पहुँचती है तब ये उसके गर्भ में घुस जाते हैं और फिर बराबर एक से दूसरे गर्भ में जाया करते हैं । इनके बार बार जाने आने से गर्भ गिर जाता है । इसी कारण गर्भावस्था में स्त्री को वृक्ष, पर्वत, प्राचीर, खाई और समुद्र आदि के पास घुमने फिरने का निषेध हैं ।

८. स्वरसाधन की एक प्रणाली जो इस प्रकार है: आरोही—सा ग म रे, रे म प ग , ग प ध म, म ध नि प, प नि सा ध, ध सा रे नि, नि रे ग सा । अवरोही—सा ध प नि, नि प सा ध, ध म ग प, प ग रे म, म रे सा ग, ग सा नि रे, रे नि ध सा ।

९. गृह । आलय । निवासस्थान (को॰) ।

१०. पुनर्जन्म । फिर फिर जन्म लेना (को॰) ।