पलटा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पलटा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पलटना]

१. पलटने की क्रिया या भाव । नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे होने की क्रिया या भाव । घूमने, उलटने या चक्कर खाने की क्रिया या भाव । परिवर्तन । क्रि॰ प्र॰—देना ।—पाना । मुहा॰—पलटना खाना = दशा या स्थिति का उलट जाना । घूमकर या बदलकर विपरीत स्थिति या दशा में पहुँच जाना । चक्कर खाना । उ॰— उसके बाद ही न जाने ग्रहचक्र ने कैसा पलटा खाया । दुर्गाप्रसाद (शब्द॰) ।

२. बदला । प्रतिफल । जैसे,— उसने अपनी करनी का पलटा पा लिया । क्रि॰ प्र॰—देना ।—पाना ।

३. नाव में वह पटरी जिसपर नाव का खेनेवाला बैठता है ।

४. गान में जल्दी जल्दी थोडे़ से स्वरों पर चक्कर लगाना । गाते समय ऊँचे स्वर तक पहुँचकर खूबसूरती के साथ फिर नीचे स्वरों की तरफ मुड़ना ।

५. लोहे या पीतल की बड़ी खुरचनी जिसका फल चौकोर न होकर गोलाकार होता है । इससे बटलोही में से चावल निकालते और पूरी आदि उलटते हैं । ६० कुश्ती का एक पेंच । विशेष— इसमें जब ऊपरवाला पहलवान नीचे पडें हुए पहलवान की कमर पकडता है तब नीचेवाला पट्ठा अपने दाहिने पैर के पंजे ऊपरवाले की टाँगों के बीच से डालकर उसकी बाई टाँग को फँसा लेता है और दाहिने हाथ से उसकी बाई कलाई पकड़कर झटके के साथ अपने दाहिनी ओर मुड़ जाता है और ऊपर का पहलवान चित गिर जाता है ।