पलीता
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पलीता ^१ संज्ञा पुं॰ [फा॰ पतीलह्]
१. बत्ती के आकार में लपेटा हुआ वह कागज जिसपर कोई मंत्र लिखा हो । विशेष—इस बत्ती की धबनी प्रेतग्रस्त लोगों को दी जाती है । क्रि॰ प्र॰—जलना ।—सुँघाना ।—सुलगाना ।
२. बररोह (बरोह) को कूट और बटकर बनाई हुई वह वत्ती जिससे बंदूक या तोप के रंजक में आग लगाई जाती है । उ॰—(क) काल तोपची, तुपक महि दारू अनय कराल । पाय पलीता कठिन गुरु गोला पुहमी पाल ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) जलधि कामना वारि दास भरि तड़ित पलीता देत । गर्जन औ तर्जन मानो जो पहरक में गढ़ लेत । सूर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—दागना ।—देना । मुहा॰—पलीता चाटना = भड़ककर बल उठना । जल उठना । (क्व॰) । यौ॰— पलीता दानी = पलिता देने या रखनेवाला । बंदूक या तोप के रंजक की बत्ती में आग लगानेवाला । उ॰—रंजकदानी, सिंगहा, तूलि पलीतादानी ।—प्रेमघन॰, भा॰ १, पृ॰ १३ ।
३. एक विशेष प्रकार की कपड़े की बत्ती, जिसे कहीं कहीं पन- शाखे पर रखकर जलाते हैं । क्रि॰ प्र॰—जलाना ।
पलीता ^२ वि॰
१. बहुत क्रुद्ध । क्रोध से लाल । आग बबूला । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।
२. तेज दौड़ने या भागनेवाला । द्रुतगामी ।