सामग्री पर जाएँ

पल्लव

विक्षनरी से
विकिपीडिया
पल्लव को विकिपीडिया,
एक मुक्त ज्ञानकोश में देखें।

संज्ञा

  1. नवीन पत्तियाँ कलियाँ आदि निकलना।
  2. कोंपल अंकुर अंकुर निकलना छोटी पत्ती कली कली निकलना खिलना किसलय

उदाहरण

  1. भले पुरुष का हृदय-रुपी वृक्ष पत्र-पल्लव विहीन नहीं हो सकता।
  2. तरु पल्लव महुँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई॥
  3. पल्लव-पल्लव पर हरियाली फूटी, लहरी डाली-डाली, बोली कोयल, कलि की प्याली मधु भरकर तरु पर उफनाई।
  4. पल्लव के रुचिर किरीट पहन आता अब भी ऋतुराज

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

पल्लव संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. नए निकले हुए कोमल पत्तों का समूह या गुच्छा । टहनी में लगे हुए नए नए कोमल पत्ते जो प्रायः लाल होते हैं । कोंपल । कल्ला । उ॰—नव पल्लव भए विटप अनेका ।—तुलसी (शब्द॰) । पर्या॰—किशलय । किसलय । नवपत्र । प्रबाल । बल । किसल । विशेष—हाथ के वाचक शब्दों के साथ 'पल्लव' को समास होने से इसका अर्थ 'उँगली' होता है । जैसे, करपल्लव, पाणि- पल्लव ।

२. हाथ में पहनने का कड़ा वा कंकण ।

३. नृत्य में हाथ की ए क विशेष प्रकार की स्थिति ।

४. विस्तार ।

५. बल ।

६. चपलता । चंचलता ।

७. आल का रंग । अलक्तक ।

८. पह्लव देश ।

९. पह्लव देश का निवासी ।

१०. श्रृंगार (को॰) ।

११. वन (को॰) ।

१२. कली (को॰) ।

१३. घास का नया कनखा (को॰) ।

१४. किनारा । छोर, विशेषतः वस्त्रादि का (को॰) ।

१५. सविलास क्रीड़ा (को॰) ।

१६. कामसक्त या लंपट व्यक्ति (को॰) ।

१७. कथाप्रबंध (को॰) ।

१८. दक्षिण का एक राजवंश जिसका राज्य किसी समय उड़ीसा से लेकर तुंगभद्रा नदी तक फैला था । विशेष—कुछ लोगों का मत है कि ये पह्लव ही थे और कुछ लोग कहते हैं कि यह स्वतंत्र राजवंश था । वराहमिहिर के अनुसार पल्लव दक्षिणपश्चिम में बसते थे । अशोक के समय में गुजरात में पल्लवों का राज्य था ।