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पसरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पसरना क्रि॰ अ॰ [सं॰ प्रसरण]

१. आगे की ओर बढ़ना । फैलना ।

२. विस्तृत होना । बढ़ना ।

३. पैर फैलाकर सोना । हाथ पैर फैलाकर लेटना ।

४. छितरा जाना । बिखर जाना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।