पहार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पहार † ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'पहाड़' । उ॰—पाप पहार प्रगट भई सोई । भरी क्रोध जल जाइ न जोई ।—मानस, २ ।३४ ।
पहार ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रहार, प्रा॰ पहार] आघात ।
प्रहार ।
1.आक्रमण, वार। 2.चोट, आघात। उ॰— हलमिलग सेन वे बाह बीर । बरसें अनंग ग्रज्जंत धीर । माचंत कूह बजि लोह सार । जुट्टंत सूर करि रिन पहार ।— पृ॰ रा॰, १ ।६५९ ।