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पहुँची

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पहुँची संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पहुँचा] हाथ की कलाई पर पहनने का एक आभूषण जिसमें बहुत से गोल या कँगूरेदार दाने कई पंक्तियों में गूँथे हुए होते हैं । उ ।— पग नुपुर औ पहुँची कर कंजन, मंजु बनी मनिमाल हिए । नव नील कलेवर पीत झँगा झलकैं पुलकैं नृप गोद लिए । — तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १५५ ।

२. युद्ध काल में कलाई पर उसकी रक्षा के लिये, पहनने का लोहे का एक प्रकार का आवरण । उ॰— सजे सनाहट पहुँची टोपा । लोहसार पहिरे सब ओपा ।— जायसी (शब्द॰) ।