पाउ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पाउ † संज्ञा पुं॰ [सं॰ पाद]

१. दे॰ 'पावँ' । उ॰—कहौ तोहि सिंघलगढ़, है खँड सात चढ़ाउ । फिरा न कोई जिअत जिउ, सरग पंथ दै पाउ ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ २६४ ।

२. चतुर्थांश । पाव ।