पाखंडी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पाखंडी वि॰ [सं॰ पाखण्डिन्]
१. वेदविरुद्ध आचार करनेवाला । वेदाचार का खंडन या निंदा करनेवाला । विशेष—पद्मपुराण में लिखा है कि जो नारायण के अतिरिक् त अन्य देवता को भी वंदनीय कहता है, जो मस्तक आदि में वैदिक चिन्हों को धारण न कर अवैदिक चिह्नों को धारण करता हैं, जो वेदाचार को नहीं मानता, जो सदा अवैदिक कर्म करता रहता है, जो वानप्रस्थाश्रमी न होकर जटावल्कल धारण करता है, जो ब्राह्मण होकर हरि के अत्यंत प्रिय शंख, चक्र, उर्ध्वपुंड्र आदि चिह्न धारण नहीं करता, जो बिना भक्ति के वैदिक यज्ञ करता है, जीवहिंसक, जीवभक्षक, अप्रशस्त दान लेनेवाला, पुजारी, ग्रामयाजक (पुरोहित), अनेक देवताओं की पूजा करनेवाला, देवता के जूठे वा श्राद्ध के अन्न पर पेट पालनेवाला, शूद्र के से कर्म करनेवाला, निषिद्ध पदार्थों को खानेवाला, लोभ, मोह आदि से युक्त, परस्त्रीगामी, आश्रयधर्म का पालन न करनेवाला, जो ब्राह्मण सभी वस्तुओं को खाता या बेचता हो, पीपल, तुलसी, तीर्थस्थान आदि की सेवा न करनेवाला, सिपाही, लेखक, दूत, रसोइया आदि के व्यवसाय और मादक पदार्थों का सेवन करनेवाला ब्राह्मण पाखंडी है । पाखँडी के साथ उठना बैठना, उसके घर जल पीना या भोजन करना विशेष रूप से निषिद्ध है । यदि किसी प्रकार एक बार भी इस निषेध का उल्लंघन हो जाय तो परम वैष्णव भी इस पाप से पाखंडी हो जायगा । मनुस्मृति के मत से पाखंडी का वाणी से भी सत्कार करे और राजा उसे अपने राज्य से निकाल दे ।
२. बनावटी धार्मिकता दिखानेवाला । जो बाहर के परम धार्मिक जान पड़े पर गुप्त रीति से पापाचार में रत रहता हो । कपटा- चारी । बगलाभगत ।
३. दूसरों को ठगने के निमित्त अनेक प्रकार के आयोजन करनेवाला । ठग । धोखेबाज । धूर्त ।