पाग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पाग ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पग ( = पैर)] पगड़ी । उ॰—जूती का दे सर पर मारी, और लपककर पाग उतारी ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ३११ । विशेष—कहते हैं, पगड़ी, पहले पैर के घुटने पर बाँधकर तब सिर पर रखी जाती थी, इसी से यह नाम पड़ा ।
पाग ^२ देश॰ पुं॰ [सं॰ पाक]
१. दे॰ 'पाक' ।
२. वह शीरा या चाशन ी जिसमें मिठाइयाँ या दूसरी खाने की चीजों डुबाकर रखी जाती हैं । उ॰—आखर अरथ मंजु मृदु मोदक राम प्रेम पाग पाहगिहैं ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. चीनी के शीरे में पकाया हुआ फल आदि । जैसे, कुम्हड़ा पाग ।
४. वह दवा या पुष्टई जो चीनी या शहद के शीरे में पकाकर बनाई जाय और जिसका सेवन जलपान के रुप में भी कर सकें ।