पाचक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पाचक ^१ वि॰ [सं॰] जो किसी कच्ची वस्तु को पचावे या पकावे । पचाने या पकानेवाला ।
पाचक ^२ संज्ञा पुं॰
१. वह नमकीन या क्षारयुक्त औषध जो भोजन को पचाने और भुख तथा पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिये खाई जाती है ।
२. [स्त्री॰ पचिका] भोजन पकानेवाला । रसोइयाँ । बावर्ची ।
३. पाँच प्रकार के पित्तों में से एक पित्त । विशेष—वैद्यक में इसका स्थान आमाशय और पक्वाशय माना गया है । यही भोजन को पचाता और उससे उत्पन्न रसवायु, पित्त, कफ, मुत्र, पुरीष आदि को अलग अलग करता है । अपने में स्थित अग्नि द्धारा अन्य चार पितस्थानों की क्रियाओं में सहायता करता है ।
४. पाचक पित्त में रहनेवाली अग्नि । विशेष—शरीर की गरमी का घटना बढ़ना इसी अग्नि की सब- लता और निर्बलता पर निर्भर है ।