पाटलिपुत्र

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पाटलिपुत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] मगध का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर जो इस समय भी बिहार का मुख्य नगर है । आजकल यह पटना के नाम से प्रसिद्ध है । विशेष—प्राचीन पाटलिपुत्र वर्तमान पटना से प्रायः २ १/२ मील पूर्व गंगा के तट पर जहाँ इस समय कुम्हरर नामक ग्राम है, स्थित था । खुदाई से वहाँ उसके बहुत से चिह्न मिले हैं । बुद्ध की परवर्ती कई शताब्दियों में यह नगर भारत का सर्वप्रधान नगर और अत्यंत उन्नत तात समुद्ध था । विदेशी यात्रियों ने अपने यात्रावृत्तांतों में इसकी बड़ी प्रशंसा लिखी है । प्राचीन पुस्तकों में इसका नाम पुष्पपुर और कुसुमपुर भी लिखा है । वर्तमान पटना शेरशाह सूर का बसाया हुआ है । ब्रह्मपुराण में लिखा है कि महाराज उदायी या उदयन ने गंगा के दाहिने किनारे पर इस नगर को बसाया । यह मगधरा ज अजातशत्रु का पुत्र था जो वुद्ध का समकालिक था । बौद्धों के 'महानिब्वाहनसुत्त' नामक ग्रंथ में इसेक निर्माण के विषय में यह कथा लिखी हैः भगवान् बुद्ध नालंद से वैशाली जाते हुए पाटली ग्राम में पहुँचे । वहाँ के निवासियों ने उनके लिये एक विश्रामगार बनवा दिया । उन्होंने आशीर्वाद दिया कि यह ग्राम एक विशाल नगर होगा और अग्नि, जल तथा विश्वास- घातकता के आघात सहन करेगा । मगधराज के दो मंत्री कोई ऐसा नगर बसाने के लिये उपयुक्त स्थान ढूँढ रहे थे जिसमें रहकर निशिव नामक ब्रात्य क्षत्रियों के आक्रमण से देश की रक्षा की जा सके । उपर्युक्त आशीर्वाद की बात सुनते ही उन्होंने पाटली में नगर बसाना आरंभ कर दिया । इसी का नाम पाटलीपुत्र पडा़ । भविष्य पुराण के अनुसार विश्वामित्र के पिता गाधि की कन्या पाटनी के इच्छानुसार कौंडिन्य मुनि के पुत्र ने मंत्रबल से इस नगर को बसाया और इसी से पाटलीपुत्र नाम रखा ।