पाटी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पाटी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. परिपाटी । अनुक्रम । रीति । उ॰— सीह छतीसी साँनलै छाके बंस छतीस । बाँके पाढी बीर रस, बरणी बिसवा बीस । —बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १८ ।

२. गणनादि का क्रम । जोड, बाकी गुणा, भाग आदि का क्रम । यौ॰—पाटीगणित ।

३. श्रेणी । अवलि । पंक्ति । पाँत ।

४. बला नामक क्षुप । खरैंटी ।

पाटी ^२ हिं॰ [सं॰ पाट, पाटी]

१. लकडी़ की वह प्रायः लंवोतरी पट्टी जिसपर विद्यारंभ करनेवालै छान सुर से पाठ लेते ना लिखने का अभ्यास करते हैं । तख्ती । पाटिवा ।

२. पाठ । सबक । मुहा॰— पाटी पडना = पाठ पढना । सबक लेना । शिक्षा पाना । उ॰— तुम कौन धों पाडी पढे़ हौ लला मन लेत हौ खेल छटाँक नहीं । —घनानंद (शब्द॰) । पाटी पड़ना = पाठ पड़ना । शिक्षा देना । कोई बात सिखा देना ।

३. माँग के दोनों ओर तेल, गोद या जल की सहायता से कंध ा द्वारा बैठाए हुए बाल, जो देखने में बराबर मालुम हों । पट्टी पटिया । उ॰—मुँडली पाटी पारन चाहै नकटी पहिरे वेसर । —सूर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰— पारना । —बैठाना ।

४. लकडी़ का वह गोला, चीपटा या चौकोर पतना बल्ला जो खाट की लंबाई के बल में दोनों ओर रहता है । चारपाई के ढाँचे में लंबाई की ओर की पट्टी । चारपाई के ढाँचे का पार्श्वभाग । उ॰—जागत जाति राति सब काटी । लेत करोट सेज की पाटी । —शकुंतला, पृ॰ २०८ ।

५. चटाई । यौ॰— सीतलपाटी ।

६. शिला । चट्टान ।

७. मछलियाँ पकड़ने के लिये बहते पानी को मिट्टी के बाँध या वृक्षों की टहनियों आदि से रोककर एक पतले मार्ग से निकालने और वहाँ पहरा बिछाने की क्रिया । क्रि॰ प्र॰— बिछाना । —लगाना ।

८. खपरैल की नरिया का प्रत्येक आधा भाग ।

९. जंती ।