पातक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पातक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह कर्म जिसके करने से नरक जाना पडे़ । कर्ता को नीचे ढकेलनेवाला कर्म । पाप । किल्विष । कल्मष । अध । गुनाह । बदकारी । निषिद्ध या नीच क्रम । उ॰—जे पातक उपपातक अहहीं । करम वचन मन भव कबि कहहीं । —मानस, २ । १६७ ।

पातक ^२ वि॰ नीचे गिरानेवाला [को॰] ।