पाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पाद ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चरण । पैर । पाँव । यौ॰—पादत्राण । विशेष—यह शब्द जब किसी के नाम या पद के अंत में लगाया जाता है तब वक्ता का उसके प्रति अत्यंत सम्मान भाव तथा श्रद्धा प्रगट करता है । जैसे,—कुमारिलपाद, गुरुपाद, आचार्यपाद, तातपाद, आदि ।
२. मंत्र, श्लोक या अन्य किसी छंदोबद्ध काव्य का चतुर्थांश । पद । चरण ।
३. किसी चीज का चौथा भाग । चौथाई ।
४. पुस्तक का विशेष अंश । जैसे, पातंजल का समाधिपाद, साधनपाद आदि ।
५. वृक्ष का मूल ।
६. किसी वस्तु का नीचे का भाग । तल । जैसे, पाददेश ।
७. बड़े पर्वत के समीप में छोटा पर्वत ।
८. चिकित्सा के चार अंग-वैद्य, रोगी औषध और उपचारक ।
९. किरण । रश्मि ।
१०. पद की क्रिया । गमन ।
११. एक ऋषि ।
१२. शिव ।
१३. एक पैर का नाप जो १२ अंगुल की होती है (को॰) ।
१४. अंश । भाग । हिस्सा । टुकड़ा (को॰) ।
१५. चक्र । चक्का (को॰) ।
१६. सोने का एक सिक्का जो एक तोला के लगभग होता था (को॰) ।
पाद ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पर्द, प्रा॰ पद्द] वह वायु जो गुदा के मार्ग से निकले । अपानवायु । अधोवायु । गोज ।