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पापड़

विक्षनरी से
पापड़

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पापड़ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पर्पट, प्रा॰ पप्पड़] उर्द अथवा मूँग की धोई के आटे से बनाई हुई मसालेदार पतली चपाती । विशेष—इसके बनाने की विधि यह है कि पहले आटे को केले, लटजीरे आदि के क्षार अथवा सोडा मिले हुए परानी में गूँधते हैं, फिर उसमें नमक, जीरा, मिर्च आचि मसाला देकर और तेल चुपड़ चुपड़कर बट्टे आदि से खूब कूटते हैं । अच्छी तरह कुट जाने पर एक तोले के बराबर आटे की लोई करके बेलन से उसे खूब बारीक बेलते हैं । फिर छाया में सुखाकर रख लेते हैं । खाने के पहले इसे घी या तेल में तलते या यों ही आग पर सेक लेते हैं । पापड़ दो प्रकार का होता है— सादा और मसालेदार । सादे पापड़ में केवल नमक, जीरा आदि मसाले ही पड़ते हैं और वह भी थोड़ी मात्रा में । परंतु मसालेदार में बहुत सै डाले जाते हैं और उनकी मात्रा भी अधिक होती है । दिल्ली, आगरा, मिर्जापुर आदि नगरों का पापड़ बहुत काल से प्रसिद्ध है । अब कलकत्ते आदि में भी अच्छा पापड़ बनने लगा है । हिंदुओं, विशेषतः नागारिक हिंदुओं के भोज में पापड़ एक आवश्यक व्यजंन है । मुहा॰—पापड़ बेलना = (१) कठोर परिश्रम करना । भारी प्रयास करना । बड़ी मिहनत करना । जैसे,—आपसे किसने रहा था कि इस काम में आप इतने पापड़ बेलें? (२) कठइनाई या दुःख से दिन काटना । बहुत से पापड़ बेलना = बहुत तरह के काम कर चुकना । बहुत जगह भटक चुकना । जैसे,—उसने बहुत से पापड़ बेले हैं ।

पापड़ ^२ वि॰

१. बारीक । पतला । कागज सा ।

२. सूखा । शुष्क ।