पिंगल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पिंगल ^१ वि॰ [सं॰ पिंङ्गल]
१. पीला । पीत ।
२. भुरापन । लिए लाल । दीपशिखा के रंग का तामड़ा ।
३. भुरापन लिए पीला । सुंघनी रंग का । ऊदे रंग का ।
पिंगल ^२ संज्ञा पुं॰ १एक प्राचीन मुनि या आचार्य जिन्होने छंदः सुत्र बनाए । ये छंद—शास्त्र के आदि आचार्य माने जाते हैं और इनके ग्रंथ की गणना वेदांगों में है ।
२. उक्त मुनि का बनाया छंदः- शास्त्र ।
३. छंद शास्त्र ।
४. साठ संवत्सरों में से ५१ वाँ संवत्सर ।
५. एक नाग का नाम ।
६. भैरव राग का एक पुत्र अर्थात् एक राग जो सबेरे गाया जाता है ।
७. सुर्य का एक पारिपार्श्विक या गण ।
८. एक निधि का नाम ।
९. बंदर । कपि ।
१०. अग्नि ।
११. नकुल । नेवला ।
१२. एक यज्ञ का नाम ।
१३. एक पर्वत का नाम ।
१४. मार्कडेय पुराण में वर्णित भारत के उत्तर पश्चिम में एक देश ।
१५. पीतल ।
१६. हरताल ।
१७. उल्लु पक्षी ।
१८. उशोर । खस ।
१९. रास्ना ।
२०. एक प्रकार का फनदार साँप ।
२१. एक प्रकार का स्थावर विष ।