पिंड

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पिंड ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कोई गोल द्रव्यखंड । गोल मटोल टुकड़ा गोला ।

२. कोई द्रव्यखंड । ठोस टुकड़ा । ढेला या लोंदा । लुगदा । थुवा । जैसे, मृत्तिकापिंड, लोहपिंड ।

३. ढेर । राशि ।

४. पके हुए चावल, खीर आदि का हाथ से बाँधा हुआ गोल लोंदा जो श्राद्ध में पितरों को अर्पित किया जाता है । विशेष—पिता, पितामह आदि को पिंडदान देना पुत्रादिको ं का प्रधान कर्तव्य माना जाता है । पिंडदान पाकर पित्रों का पुन्नाम नरक से उद्धार होता है । इसी से पुत्र नाम पड़ा । वि॰ दे॰ 'श्राद्ध' । यौ॰—पिंडदान । सपिंड ।

५. भोजन । आहार । जीविका ।

६. शरीर । देह ।

७. कौर । ग्रास (को॰) ।

८. भिक्षा । भीख (को॰) ।

९. मांस (को॰) ।

१०. भ्रुण (को॰) ।

११. पदार्थ । वस्तु (को॰) ।

१२. घर का कोई एक विशेष भाग (को॰) ।

१३. वृत्त के चतुर्थांश का चौबीसवाँ भाग (को॰) ।

१४. कुभंस्थल (को॰) ।

१५. दरवाजे के सामने का छायादार भाग (को॰) ।

१६. सुगंधित पदार्थ । लोबान (को॰) ।

१७. जोड़ । योग (को॰) ।

१८. घनत्व (ज्या॰) ।

१९. शक्ति । बल (को॰) ।

२०. लोहा (को॰) ।

२१. ताजा मक्खन (को॰) ।

२२. सेना (को॰) ।

२३. जल । पानी (को॰) ।

२४. ओड़ पुष्प (को॰) ।

२५. पिंडली (को॰) । मुहा॰—पिंड छुटना = मुक्त होना । संबंध खतम होना । राहत मिलना । पिंड छोड़ना = साथ न लगा रहना या संबंध न रखना । तंग न करना । पिंड पड़ना = पीछे पड़ना ।

पिंड ^२ वि॰

१. ठोस ।

२. घना । सघन [को॰] ।

पिंड ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पाण्डु] पांडुरोग । पीलिया । यौ॰—पिंडरोग = पीलिया । पिंडरोगी । पांडुरोगी ।