पिघलना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पिघलना क्रि॰ अ॰ [सं॰ प्र+ गलन]

१. ताप के कारण किसी घन पदार्थ का द्रव रुप में होना । गरमी से किसी चीज का गलकर पानी सा हो जाना । द्रवीभुत होना । जैसे, मोम पिघलना, रागा पिघलना, घी पिघलना ।

२. चित्त में दया उत्पन्न होना । किसी की दशा पर करुणा उत्पन्न होना । पसीजना । जैसे,—महीनों तक प्रार्थना करने पर अब वे कुछ पिघले हैं ।