पिटारा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पिटारा संज्ञा पुं॰ [सं॰ पिटक] [स्त्री॰ पिटारी] १बाँस, बेत, मूँज आदि के नरम छिलकों से बना हुआ एक प्रकार का बड़ा संपुट या ढकनेदार पात्र । झाँपा । विशेष—इसका घेरा गोल, तल बिलकुल चिपटा ओर ढ़कना ढालुवाँ गोल अथवा बीच में उठा हुआ होता है । पहले पिटारे का व्यवहार बहुत था, पर तरह तरह के टुंकों के प्रचार के कारण इसका व्यवहार घटता जाता है । बाँस आदि की अपेक्षा मूँज और बेंत का पिटारा अधिक मजबूत होता है । मजबूती के लिये अक्सर इसको चमड़े या किसी मोटे कपड़े से मढ़वा देते है । आजकल लोहे के पतले गोल तारों से भी पिटारे बनते हैं ।

२. बड़ा गुब्बारा ।