पिनाक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पिनाक संज्ञा पुं॰ [सं॰] शिव का धनुष जिसे श्रीरामचंद्र जी ने जनकपुर में तोडा़ था । अजगव । यौ॰—पिनाकगोप्ता । पिनाकधृक्, पिनाकघृत, पिनाकहस्त = दे॰ 'पिनाकपाणि' । मुहा॰—पिनाक होना = (किसी काम का) अत्यंत कठिन होना । (किसी काम का) दुष्कर या असाध्य होना ।— जैसे,—तुम्हारे लिये जरा सा काम भी पिताक हो रहा है ।

२. कोई धनुष ।

३. त्रिशूल ।

४. एक प्रकार का अभ्रक । नीला अभ्रक । नीलाभ्र । †

५. एक प्रकार का वाद्य । दे॰ 'पिनाकी'—२ । उ॰—किन्नर तमूर बाजै कानूड़ की तरंगी । ढोलक पिनाक खँजरि तबले बजै उमंगी ।—ब्रज॰ ग्रं॰, पृ॰ ६० ।

६. पांशुवर्षा । धूलिवर्षण (को॰) ।

७. बेंत या लाठी (को॰) ।