पिलच पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पिलना] पिलने का भाव । पिल पड़ना । मुहा॰— पिलच पड़ना = एकाएक आक्रमण कर देना । टूट पड़ना । उ॰—बन्तो-ना हुजूर, लौंडी न जाने की । मेरे ही पीछे पड़ जायगी और पिलच पडे़गी । बंदी दरगुजरी ।— सैर कु॰, पृ॰ ३० ।