पिशुन

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पिशुन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक की बुराई दूसरे से करके भेद डालनेवाला । चुगलखोर । इधर की उधर लगानेवाला । दुर्जन । खल । उ॰— इसे पिशुन जान तू, सुन सुभाषिणी है बनी । 'घरो' खगि, किसे धरूँ ? धृति लिए गए हैं धनी ।— साकेत, पृ॰ २५९ ।

२. कुंकुम । केसर ।

३. कपिवक्त्र । नारद ।

४. काक । कौआ ।

५. तगर ।

६. कपास ।

७. एक प्रेत जो गर्भवती स्त्रियों को कष्ट पहुँचाता है (को॰) ।

८. प्रवंचित करना । धोखा देना ।

पिशुन ^२ वि॰

१. परस्पर भेद डालनेवाला । सूचक ।

२. चुगली करनेवाला । प्रवंचक । धोखेबाज ।

३. क्रूर । निर्भय । निर्दय । नीच । निम्न ।

४. मूर्ख [को॰] । यौ॰— पिशुनवचन, पिशुनवाक्य = चुगली ।