पीठा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पीठा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पीठक] दे॰ 'पीढ़ा' । उ॰—आवत पीठा बैठन दीन्हों कुशल बृझि अति निकट बुलाई ।—सूर (शब्द॰) ।
पीठा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पिष्ठक, प्रा॰ पिठ्ठक] एक पकवान जो आटे की लोईयों में चने या उरद की पीठी भरकर बनाया जाता है । विशेष—पीठी में नमक, मसाला आदि देकर आटे की लोईयों में उसे भरते हैं और फिर लोई का मुँह बंदकर उसे गोल चौकोर या चिपटा कर लेते हैं । फिर उन सबको एक बरतन में पानी के साथ आग पर चढ़ा देते हैं । कोई कोई उसे पानी में न उबालकर केवल भाप पर पकाते हैं । घी में चुपड़कर खाने से यह अधिक स्वादिष्ट हो जाता है । पूरब की तरफ इसको 'फरा या फारा' भी कहते हैं । कदाचित् इस नामकरण का कारण यह हो कि पक जाने पर लोई का पेट फट जाता है और पीठी झलकने लगती है ।
पीठा ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'पट्ठा' ।