पीला
संज्ञा
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विशेषण
पीला
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
पीला ^१ वि॰ [सं॰ पीतलक (= पीला), अप॰ पीअर, पीअल] [वि॰ स्त्री॰ पीली]
१. हलदी, सोने या केसर के रंग का (पदार्थ) । जिसका रंग पीला हो । पीतवर्ण । जर्द ।
२. ऐसा सफेद जिसमें सुर्खी या चमक न हो । रक्त का अभावसूचक श्वेत । जिससे वर्ण की आभा न निकलती हो । कांतिहीन । निस्तेज । धुँधला सफेद । जैसे, पीला चेहरा । मुहा॰—पीला पड़ना या होना = (१) रक्त के अभाव के कारण (मनुष्य के शरीर या चेहरे के) रंग में चमक या कांति न रह जाना । बीमारी के कारण चेहरे या शरीर से रक्त का अभाव सूचित होना । ललाई, तेज या दमक न रह जाना । जैसे,—तुम दिन ब दिन पीले हुए जा रहे हो, आखिर तुम्हें कौन सा रोग लगा है । (२) भय के कारण चेहरे पर सफेदी आ जाना । खून सूख जाना । रंग उड़ जाना या फीका पड़ जाना । जैसे,—मेरी सूरत देखते ही वह एकदम पीला पड़ गया ।
पीला ^२ संज्ञा पुं॰ एक प्रकार का रंग जो हलदी या सोने के रंग से मिलता जुलता होता है और जो हलदी, हरसिंगार आदि से बनाया जाता है । मुहा॰—पीली फटना = पौ फटना । तड़का होना ।
पीला संज्ञा पुं॰ [फा़॰ पीलह्] शतरंज का एक मोहरा । दे॰ 'पील' ।
पीला कनेर संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पीला + कनेर] कनेर के दो भेदों में से एक जिसका फूल पीला और आकार में घंटी के समान होता है । लाल कनेर की अपेक्षा इसका पेड़ कुछ अधिक ऊँचा होता है । वैद्यक के अनुसार इसके गुण भी सफेद कनेर के समान ही होते हैं । विशेष—दे॰ 'कनेर' ।
पीला धतूरा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पीला + धतूरा]
१. भँड़ भाँड़ । सत्या- नासी । घमोय । ऊँटकटारा ।
२. पीले वर्ण का कनक पुष्प । विशेष—काले या नीले धतूरे के समान इसमें भी तीन फूल एक ही में लगें रहते हैं । खिल जाने पर इसका फूल सोने की तरह पीला दिखता है । यह वृक्ष बहुत कम दिखाई पड़ता है ।
पीला शेर संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पीला + फा़॰ शेर] एक प्रकार का बाध जो अफ्रीका में पाया जाता है और जिसका रंग कुछ पीला होता है ।
यह भी देखिए
- पीला (विकिपीडिया)