पीसना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पीसना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ पेषण]
१. सुखी या ठोस वस्तु को रगड़ या दबाव पहुँचाकर चुर चुर करना । किसी वस्तु को आटे, बुकनी या धुल के रुप में करना । चक्की आदि में दलकर या सिल आदि पर रगड़कर किसी वस्तु को अत्यंत बारीक टुकड़ों में करना । जैसे, गेहुँ पीसना, सुर्खीं पीसना आदि । विशेष—इसका प्रयोग पीसी जानेवाली, पीसनेवाली तथा पीसकर तैयार वस्तुओं के साथ भी होता है । जैसे, गेहुँ पीसना, चक्की पीसना और आटा पीसना ।
२. किसी वस्तु को जल की सहायता से रगड़कर मुलायम और बारीक करना । जैसे, चटनी पीसना, मसाला पीसना, बादाम पीसना, भंग पीसना आदि ।
३. कुचल देना । दबाकर भुरकुस कर देना । पिलापिला कर देना । जैसे,—तुमने तो पत्थर गिराकर मेरी ऊँगली बिलकुल पीस डाली । मुहा॰—किसी (आदमी) को पीसना=बहुत भारी अपकार करना या हानि पहुँचना । नष्टप्राय कर देना । चौपट कर देना । कुचलना । जैसे,—वह उन्हें कुछ नहीं समझता, चुटकी बजाते पीस डालेगा ।
४. कटकटाना । किरकिराना । जैसे, दाँत पीसना ।
५. कड़ी मिहनत करना । कठोर श्रम करना । जान डालना । जैसे,— सारा दिन पीसता हुँ फिर भी काम पुरा नहीं होता ।
पीसना ^२ संज्ञा पुं॰
१. वह वस्तु जो किसी को पिसने को दी जाय । पीसी जानेवाली वस्तु । जैसे, गेहुँ का पीसना तो इसे दे दो, चने का और किसी को दिया जायागा ।
२. उतनी वस्तु जो किसी एक आदमी को पीसने को दी जाय । एक आदमी के हिस्से का पीसना । जैसे,—तुम अपना पीसना ले जाओ ।
३. किसी एक आदमी के हिस्से या जिम्मे का काम । उतना काम जो किसी एक आदमी के लिये अलग कर दिया गया हो (व्यंग्य में) । मुहा॰—पीसना पीसना=(१) कठिन परिश्रम का काम लगातार करते रहना । (२) किसी साधारण काम करने में देर लगाना या आवश्यकता से अधिक समय लेना । (व्यंग में) ।