पुचकारना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पुचकारना क्रि॰ स॰ [अनुध्व॰ पुच (=ओठों को दबाकर छोड़ने से निकला हुआ शब्द)+ हिं॰ कार+ ना (प्रत्य॰)] चुमने का सा शब्द निकालकर प्यार जताना । चुमकारना । जैसे, (क) बच्चे को पुचकारना । (ख) कुत्ते को पुचकारना । उ॰—(क) ठोंकि पीठ पुचकारि बहोरी । कीन्हीं बिदा सिद्धि कहि तोरी । —रघुराज (शब्द॰) । (ख) सुनि बैठाय अंक दानवपति पोंछि वदन पुचकारी । बेटा, पढौ कौन बिद्या तुम देहु परीक्षा सारी । —रघुराज (शब्द॰) ।