पुट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पुट ^१ संज्ञा पुं॰ [अनु॰ पुट पुट (छींटा=गिले का शब्द)]
१. किसी वस्तु से तर करने या उसका हलका मेल करने के लिये डाला हुआ छींटा । हलका छिरकाव । जैसे,—(क) पकाते वक्त ऊपर से पानी का हलका पुट दे देना । क्रि॰ प्र॰—देना ।
२. रँग या हलका मेल देने के लिये किसी वस्तु को धुले हुए रंग या और किसी पतली चीज में डुबाना । बोर । जैसे— इसमें एक पुट लाल रंग का दे दो । उ॰—ज्यों बिन पुट पट गहत न रँग को, रंग न रसै परै । —सूर (शब्द॰) ।
पुट ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. आच्छादन । ढाकनेवाली वस्तु । जैसे, रदपुट, नेत्रपुट ।
२. दोना । गोल गहरा पात्र । कटोरा । उ॰—(क) पियत नैन पुट रुप पियुखा । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) जलपुट आनि धरो आँगन में मोहन नेक तौ लीजै । — सूर (शब्द॰) ।
३. दोने के आकार की वस्तु । कटोरे की तरह की चीज । जैसे, अंजालिपुट ।
४. मुँहबंद बरतन । औषध पकाने का पात्र विशेष । विशेष—दो हाथ लंबा, दो हाथ चौड़ा, दो हाथ गहरा एक चौखूँटा गड्ढा खोदकर उसमें बिना पथे हुए उपले डाल दे । उपलों के ऊपर औषध का मुँहबंद बरतन रख दे और ऊपर से भी चारों ओर उपले डालकर आग लगा दे । दवा पक जायगी । यह महापुट है । इसी प्रकार गड्ढे के विस्तार के के हिसाब से कपोतपुट, कौक्कुटपुट, गजपुट, भांडपुट, इत्यादि हैं; जैसे सवा हाथ विस्तार के गड्ढे में जो पात्र रखा जाय वह गजपुट है ।
५. कटोरे के आकार के दो बराबर बरतनों को मुँह मिलाकर जोड़ने से बना हुआ बंद घेरा । संपुट ।
६. घोड़े की टाप ।
७. अंत पट । अँतरौटा ।
८. जायफल ।
९. एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में दो नगण, एक मगण और एक यगण होता है । जैसे,—श्रवणपुट करी ना जान रानी । रघुपति कर याकी मीचु ठानी ।
१०. कोश (को॰) ।
११. खाली जगह । रिक्त स्थान । जैसे, नासापुट, कर्णपुट (को॰) ।
१२. कौटिल्य के अनुसार पोटली या पैकेट जिसपर मुहर की जाती थी ।