पुत्रिका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पुत्रिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. लड़की । बेटी । उ॰—जनक सुखद गीता । पुत्रिका पाइ सीता ।—केशव (शब्द॰) ।

२. पुत्र के स्थान पर मानी हुई कन्या । विशेष—मनुस्मृति नवम अध्याय में कहा है कि जिसे पुत्र न हो वह कन्या को इस प्रकार पुत्र रूप से ग्रहण कर सकता है । विवाह के समय वह जामाता से यह निश्चय कर ले कि 'कन्या' का जो पुत्र होगा वह मेरा 'स्वधाकर' अर्थात् मुझे पिंड देनेवाला और मेरी संपत्ति का अधिकारी होगा ।

३. गुड़िया । मूर्ति । पुतली ।

४. आँख की पुतली । उ॰— महादेव की नेत्र की पुत्रिका सी । कि संग्राम की भूमि में चंद्रिका सी ।—केशव (शब्द॰) ।

५. स्त्री की तसवीर । उ॰—चित्र की सी पुत्रिका की रूरे बगरूरे माहिं, शंबर छोड़ाय लई कामिनी की काम की ।—केशव (शब्द॰) ।

६. (समासांत में) अपने वर्ग की छोटी या तुच्छ वस्तु । जैसे, असिपुत्रिका, खड्गपुत्रिका (को॰) ।