पुन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पुन † ^१ अव्य॰ [सं॰ पुनः] दे॰ 'पुनः' । उ॰—पुन भविष्य प्रादुर्भाव में पुष्कर क्षेत्र की उतपति कौ बर्नन है—पौद्दार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ४८४ ।
पुन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुण्य] पुण्य । धर्म । सबाब ।
पुन ^१ संज्ञा पुं॰ [देश॰]
१. जंगली बादाम का पेड़ जो भारत के पश्चिमी किनारों पर होता है । विशेष—इसके फूल और पत्तियाँ दवा के काम आती हैं और फल में से तेल निकाला जाता है । इस वृक्ष में एक प्रकार का गोंद निकलता है ।
२. कलपुन नामक वृक्ष जिसकी लकड़ी इमारत बनाने के काम में आती हैं । इसके बीजों से एक प्रकार का तेल भी निकलता है ।
३. तलवार की मुठिया का नीचेवाला सिरा ।