पुरवा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पुरवा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुर + हिं॰ वा (प्रत्य॰)] छोटा गाँव । पुरा । खेड़ा । उ॰—नदी नद सागर डगरि मिलि गए देव, डंगर न सूझत नगर पुरवान को ।—देव (शब्द॰) ।
पुरवा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पूर्व + वात, हिं॰ पूरब + बाव] पूरब की हवा । पूर्व दिशा से चलनेवाली वायु ।
२. एक रोग जो वायु चलने से उत्पन्न होता है । विशेष—यह पशुओं को होता है । इसमें पशु का गला फूल जाता है और उसके पेट में पीड़ा होती है ।
पुरवा ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुटक] मिट्टी का कुल्हड़ । कुल्हिया । उ॰—बूट के केदार सम लूटिहै त्रिलोक काल पुरवा के फूट सम ब्रह्म अंड फूटिहै ।—हनुमान (शब्द॰) ।
पुरवा पु ^४ वि॰ [हिं॰ पूरना] पूर्ण करनेवाला । पुरानेवाला । उ॰—चलि राधे बृंदावन विहरन औसर बन्यौ है मनोरथ पुरवा ।—घनानंद, पृ॰ ४९० ।