पुष्यमित्र

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पुष्यमित्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] मौर्यों के पीछे मगध में शुंग वंश का राज्य प्रतिष्ठित करनेवाला एक प्रतापी राजा । विशेष—अशोक से कई पीढ़ियों पीछे अंतिम मोर्य राजा बृहद्रथ को लड़ाई में मार पुष्यमित्र मगध के सिंहासन पर बैठा । अपने पुत्र अग्निमित्र को उसने विदिशा का राज्य दिया था । अग्निमित्र का वृतांत कालिदास के मालविकाग्निमित्र नाटक में आया है । पुष्यमित्र हिंदू धर्म का अनन्य अनुयायी था । इससे बोद्धों की प्रधानता से चिढ़ी हुई प्रजा उसके सिंहासन पर बैठने से बहुत प्रसन्न हुई । वैदिक धर्म और अपने प्रताप की घोषणा के लिये पुष्यमित्र ने पाटलिपुत्र में बड़ा भारी अश्वमेध यज्ञ किया । लोगों का अनुमान है कि इस यज्ञ में भाष्यकार पतंजलि भी आए थे । इर्सा से प्रायः दो सौ वर्ष पूर्व पुष्यमित्र मगध में राज्य करते थे । उसके पीछे उसका पुत्र अग्निमित्र सिंहासन पर बैठा । वि॰ दे॰ 'शुंग' ६ ।