पूग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पूग संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सुपारी का पेड़ या फल । उ॰—घोंटा क्रमुक गुवाक पुनि पूग सुपारी आहि ।—अनेकार्थ॰, पृ॰ १०१ ।

२. ढेरा । अंकोल ।

३. शहतूत का पेड़ ।

४. कटहल ।

५. एक प्रकार की कटोरी ।

६. भाव ।

७. छंद ।

८. समूह । वृंद । ढेर ।

९. किसी विशेष कार्य के लिये बना हुआ संघ । कंपनी । विशेष—काशिका में कहा गया है कि भिन्न जातियों के लोग आर्थिक उद्देश्य से जिस जिस संघ में काम करें, वह 'पूग' कहलाता है । जैसे, शिल्पियों या व्यापारियों का पूग । याज्ञवल्क्य ने इस शब्द को एक स्थान पर बसनेवाले भिन्न बिन्न जाति के लोगों की सभा के अर्थ में लिया है ।