पूर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पूर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दारु अगर । दाहगुरु ।

२. बाढ़ ।

३. धाव पूरा होना या भरना । व्रणसंशुद्धि ।

४. प्राणायाम में पूरक की क्रिया । विशेष—दे॰ 'पूरक' ।

५. प्रवाह । धारा । उ॰— जमुना पूर परम सुखदायक । दरस परस सरसत ब्रजनायक ।—घनानंद, पृ॰ १८७ ।

६. खाद्यविशेष । एक प्रकार का पक्वान्न (को॰) ।

७. जलाशय । तालाब (को॰) ।

८. नीबू । बिजौरा नींबू (को॰) ।

पूर ^२ वि॰ [सं॰ पूर्णा]

१. दे॰ 'पूर्ण' ।

२. वे मसाले या दूसरे पदार्थ जो किसी पकवान के भीतर भरे जाते हैं । जैसे, समोसे का पूर ।

पूर ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पूला]

१. घास आदि का बँधा हुआ मुट्ठा । पूला । पूलक ।

२. फसल की उपज की तीन बराबर बराबर राशियाँ जिनमें से एक जमींदार और दो तिहार्ह काश्तकार लेता है । तीकुर । तिकुर ।

३. बैलगाड़ी के अगल बगल का रस्सा ।