पेखना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पेखना †पु ^१ क्रि॰ सं॰ [सं॰ प्रेक्षण, प्रा॰ पेक्खण] देखना । अवलोकन करना । उ॰—श्रमकण सहित श्याम तनु देखे । कहँ दुख समउ प्राणपति पेखे ।—तुलसी (शब्द॰) ।
पेखना पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रेक्षण]
१. वह जो कुछ देखा जाय । दृश्य । उ॰—रंगभूमि आएँ दसरथ के किसोर हैं । गेखनी सो पेखन चले हैं पुर नर नारि बारे बूढे़ अंध पंगु करत निहोर हैं ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ३०६ ।
२. देखने का भाव । प्रेक्षण । उ॰—सखि सबको मन हरि लेति, ऐन मैन मनो पेखनो ।—नंद॰, ग्रं॰, पृ॰ २८५ ।