पेनिसिलिन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पेनिसिलिन संज्ञा स्त्री॰ [अं॰] ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत प्रतिजीवाणु (ऐंटीबायोटिक) वर्ग की प्रमुख ओषधि जिसका प्रयोग मुख्यतः अंतःपेशी (इंट्रामस्कयुलर) इंजेक्शन के रूप में किया जाता है । टिकिया के रूप में खाने तथा मलहम के रूप में लगाने में भी इसका व्यवहार होता है । विशेष—लंदन सेंट मेरी चिकित्सालय के प्रो॰ अलेक्जैंडर फ्लेंमिंग ने सन् १९२८ में संवर्धन पट्टिकाओं (कल्चर प्लेटों) का सामान्य परीक्षण करते समय आकस्मिक रूप से इसका पता लगाया था । परंतु इसके वास्तविक संघटन, गुण और शक्तियों का सही ज्ञान दस वर्षों बाद प्राप्त हुआ । यह एक प्रकार की फफूँद या भुकड़ी है जिसके संपर्क में आने पर अनेक दुस्साध्य रोगों के जनक और वाहक रोगाणु तत्काल नष्ट हो जाते हैं और रोग दूर हो जाता है । पेनिसिलिन का आविष्कार चिकित्सा जगत् में वर्तमान शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है । दुष्टव्रण, पृष्ठव्रण, न्यूमोनियाँ, उपवंश, सूजाक आदि अनेक असाध्य समझे जानेवाले रोगों की चिकित्सा में पोनिसिलिन रामबाण सिद्ध हुई है । फ्लेमिंग महोदय को इसके आविष्कार के उपलक्ष में 'सर' की उपाधि और नोबेल पुरस्कार मिला था ।